नर्सिंग संवर्ग में पदोन्नति का स्थायी समाधान : नर्सिंग निदेशालय और समयबद्ध DACP/DPC क्यों अनिवार्य हैं?
नर्सिंग संवर्ग में पदोन्नति का स्थायी समाधान : नर्सिंग निदेशालय और समयबद्ध DACP/DPC क्यों अनिवार्य हैं?
19 दिसम्बर को राजस्थान में नर्सिंग संवर्ग की पदोन्नति सूची जारी की गई।
इस अवसर पर पदोन्नत हुए सभी नर्सिंग साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
परंतु इसके साथ ही यह आवश्यक हो जाता है कि राजस्थान के नर्सिंग संवर्ग में वर्षों से चली आ रही पदोन्नति संबंधी गंभीर समस्याओं पर भी तथ्यात्मक और संतुलित चर्चा की जाए।
राजस्थान में नर्सिंग पदोन्नति की वर्तमान वास्तविकता
नर्सिंग ऑफिसर 4200 ग्रेड पे पर राजकीय सेवा में कार्यग्रहण करता है।
लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि:
- अधिकांश नर्सेज़ को पूरी सेवा अवधि में केवल एक ही पदोन्नति मिल पाती है
- यह पदोन्नति प्रायः सीनियर नर्सिंग ऑफिसर (4800 ग्रेड पे) तक ही सीमित रह जाती है
- नर्सिंग अधीक्षक (5400 ग्रेड पे) पद पर बहुत ही कम नर्सेज पदोन्नत हो पाते हैं
- नर्सिंग अधीक्षक से उच्च पदों पर पदोन्नति लगभग असंभव हो चुकी है
- अनेक नर्सेज 30–35 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद भी पदोन्नति से वंचित रहकर सेवानिवृत्त हो रहे हैं
सरकारी रिकॉर्ड में भी समस्या स्वीकार
सरकारी दस्तावेज़ों और विभिन्न मांग पत्रों में स्वयं यह स्वीकार किया गया है कि:
- नर्सिंग संवर्ग की डीपीसी (Departmental Promotion Committee) वर्षों से लंबित है
- वर्ष 2013–14 की पदोन्नति प्रक्रिया में कई नर्सेज को डिफर किया गया
- बड़ी संख्या में नर्सेज पदोन्नति पाए बिना ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं
- राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर गाइडलाइन जारी की गई, लेकिन उनका पूर्ण अनुपालन नहीं हुआ
यह स्थिति न केवल प्रशासनिक कमजोरी दर्शाती है, बल्कि नर्सिंग स्टाफ के मनोबल पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
चिकित्सक बनाम नर्सिंग संवर्ग : एक स्पष्ट असमानता
चिकित्सक संवर्ग
- 6 वर्ष बाद – वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी
- 12 वर्ष बाद – उप निदेशक
- 18 वर्ष बाद – प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी
- 24 वर्षों में – चार पदोन्नतियाँ
नर्सिंग संवर्ग
- 30–35 वर्षों की सेवा के बाद भी
- अक्सर केवल एक ही पदोन्नति
यह असमानता नर्सिंग संवर्ग में गहरी निराशा और असंतोष का कारण बन रही है।
DACP / DPC : नर्सिंग संवर्ग की वास्तविक आवश्यकता
पिछली तीन नर्सिंग भर्तियों (2009, 2013 और 2018) में लगभग 30,000 नर्सेज लगभग 9–10 वर्षों तक संविदा सेवा देने के बाद नियमित हुईं।
ऐसी स्थिति में चिकित्सक संवर्ग की तर्ज पर नर्सिंग संवर्ग को भी:
- DACP / DPC
- 6, 12, 18 और 24 वर्ष के अंतराल पर
- समयबद्ध पदोन्नति
का लाभ दिया जाना पूरी तरह न्यायसंगत और आवश्यक है।
स्थायी समाधान : स्वतंत्र नर्सिंग निदेशालय
नर्सिंग संवर्ग की अधिकांश समस्याओं का मूल कारण प्रशासनिक प्रतिनिधित्व का अभाव है।
यदि राजस्थान में स्वतंत्र नर्सिंग निदेशालय स्थापित किया जाता है, तो:
- समय पर DPC आयोजित की जा सकेगी
- पदोन्नति प्रक्रिया नियमित होगी
- कैडर स्ट्रक्चर स्पष्ट और संतुलित होगा
- नर्सिंग संवर्ग की लंबित मांगों का शीघ्र समाधान संभव होगा
वास्तविकता यह है कि नर्सिंग निदेशालय बनने से पदोन्नति संबंधी अधिकांश समस्याएँ स्वतः ही सरल और व्यवहारिक हो जाती हैं।
निष्कर्ष
यह मांग किसी विशेष लाभ या विशेषाधिकार की नहीं है, बल्कि:
- समानता
- न्याय
- और सम्मानजनक करियर ग्रोथ
की है।
एक प्रेरित और संतुष्ट नर्सिंग स्टाफ ही मज़बूत स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक नींव होता है।
आपकी राय ज़रूरी है
क्या नर्सिंग संवर्ग के लिए स्वतंत्र नर्सिंग निदेशालय और समयबद्ध DACP/DPC अब अनिवार्य नहीं हो गया है?
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यदि आप भी नर्सिंग संवर्ग में न्यायपूर्ण पदोन्नति व्यवस्था के पक्ष में हैं, तो इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें, ताकि यह आवाज़ जिम्मेदार स्तर तक पहुँचे।




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