नर्सेज की मांगें सालों से लंबित क्यों? नर्सेज निदेशालय के बिना समाधान संभव नहीं
🧑⚕️ नर्सिंग संवर्ग की असली मांग: नर्सेज निदेशालय
पिछले कई वर्षों से नर्सिंग संवर्ग अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर लगातार ज्ञापन देता आ रहा है। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि —
❌ कुछ मांगों को “व्यवहारिक नहीं” कह दिया जाता है
❌ कुछ को “वित्त विभाग से संबंधित” बताकर आगे भेज दिया जाता है
और अंत में होता क्या है?
- ➡️ अधिकारी जवाब दे देते हैं
- ➡️ या फाइल आगे बढ़ा दी जाती है
- ➡️ लेकिन धरातल पर कोई ठोस बदलाव नहीं होता
🔍 पिछले वर्षों की सच्चाई
नर्सिंग संवर्ग की कई मांगें वर्षों से चर्चा में हैं, लेकिन हकीकत यह है कि —
✔️ पदनाम परिवर्तन कर “नर्सिंग अधिकारी” करना
इन दो मांगों के अलावा आज तक कोई भी प्रमुख मांग पूरी नहीं हुई।
❓ सबसे बड़ा सवाल: नर्स भर्ती कब आएगी?
राज्य में नर्सेज की भारी कमी है, फिर भी यह सवाल आज तक अनुत्तरित है —
❓ आखिर नर्स भर्ती कब निकलेगी?
❓ और बाकी लंबित मांगें कब तक पूरी होंगी?
📌 मूल समस्या कहाँ है?
क्योंकि नर्सिंग संवर्ग की समस्याओं के लिए आज भी कोई स्वतंत्र, सशक्त और जवाबदेह व्यवस्था नहीं है।
इसीलिए —
जब तक नर्सिंग के लिए अलग निदेशालय नहीं होगा —
- समस्याएं अलग-अलग विभागों में भटकती रहेंगी
- फैसले टलते रहेंगे
- और मांगें फाइलों में दबती रहेंगी
❗ अब बात बिल्कुल साफ है
अगर नर्सिंग संवर्ग एकजुट होकर अपनी असली मांग — नर्सेज निदेशालय — पर मजबूती से नहीं डटा, तो बाकी मांगें भी इसी तरह लंबित बनी रहेंगी।
ℹ️ यह लेख किसी व्यक्ति या विभाग पर आरोप नहीं है, बल्कि नर्सिंग संवर्ग की वास्तविक स्थिति और वर्षों के अनुभव पर आधारित है।
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